आओ सुनें भयावह वाणी ,आओ देखें एक मनगढ़ंत कहानी-
देखने में सुंदर महल सा लगता है ,पर क्या करें ,इसमें तो भूत बसता है,
कैसे खोजा इसे पत्रकार ने ,वह कितना हिम्मती लगता है !
जनमानस में भय के साथ जो सृजनशीलता भी भरता है,
मानूँ लोहा उस कथानक का जो हवा में भूतमहल को गढ़ता है
और इस झूठी बात को भी सत्य प्रमाणित करता है।
काल्पनिक जुर्म पर केस बनाते और उसे वारदात बताते ,
करुण-क्रंदन पे शास्त्रीय संगीत बजाते ,भले -चंगे को ग्ल्य्सरिन से रुलाते ,
इनके इस नाट्य पे जग रोने के बदले हँसता है ,
फ़िर भी जाने क्यों सबको ऐसा चैनल हीं जंचता है ।
क्या हिम्मत कोई इनसे लड़े ,
यदि की भूल किसी ने ,तो उनपे ये दोषारोपण का षडयंत्र करें ,
इनकी इस मक्कारी से संत-समाज तड़पता है ,
सत्यार्थी आधुनिक समाज को इससे जाने क्या फलता है ।
इनकी कोशिश तो देखो ,
विज्ञानं की परिभाषा अब अज्ञानी से सीखो -
जिनको बिग-बैंग प्रयोग भी ,मानवद्रोही लगता है,
न जाने न्यूज़-चैनल क्यों ऐसी कथाएँ रचता है ?

3 comments

  1. Indrajeet // September 11, 2008 at 4:25 AM  

    Hi,very nice poetry...moreover,its based on the current events!!!

  2. Utpal // September 11, 2008 at 4:57 AM  

    Okay.... Now your language becomes comprehensible.
    And I do envy your familiarity and comfort with Hindi.
    Hopefully, someday I will manage to write with ease like you do in Hindi.

    As for the subject of your post....
    I would not do more than change the channel of these 'news channels'. You have given too much respect to the idiots by dedicating a complete post on them. Even if it is in form of criticism.

  3. Unknown // September 13, 2010 at 4:45 AM  

    Very true word thans for sharing this
    hariom