भावों की अनंत सत्ता , कल्पनाओं की उडान
मन की स्थिरता ,कार्यकुशलता गढे व्यक्तित्व महान
हे मानव ! तुझे हो ये ज्ञातव्य ,तुझे बनना है सुदृढ़ और सभ्य
यदि होगा तू इससे अज्ञ,नहीं कर पाएगा विराट कर्मयज्ञ
तेरी वासना हो स्थिरता की ओर ,सीमित रख अपनी कामना !
तो तेरी हर भावना , होगी संभावना ........

2 comments

  1. Shailesh // July 14, 2008 at 4:04 AM  

    Very creative dude.Must have studied from some very outdated old antiquated school.

  2. Utpal // July 14, 2008 at 4:22 AM  

    Who is this Bhavna dude. I guess she will take care of the need you articulate in your previous post.